📰 प्रदेश के स्कूलों का चौंकाने वाला सच: 0 छात्र और दर्जनों शिक्षक!
हवाला: दैनिक भास्कर की विशेष जांच
प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत पर दैनिक भास्कर ने हाल ही में एक विशेष जांच प्रकाशित की है, जिसमें कई ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो शिक्षा विभाग की जवाबदेही पर सवाल खड़े करते हैं।
🔹 मुख्य निष्कर्ष:
230 स्कूलों में 310 शिक्षक तैनात हैं, लेकिन छात्र संख्या शून्य (0) है।
कुछ स्कूलों में 6 शिक्षक तैनात, लेकिन एक भी छात्र नहीं।
वहीं, लगभग 5,000 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है, जो लाखों बच्चों को शिक्षा देने के लिए अकेले जिम्मेदार हैं।
🔹 समस्या की जड़:
डेटा और वास्तविकता में अंतर
कई स्कूल वास्तव में बंद हैं, लेकिन कागज़ों में चलते रहते हैं।
EMIS/UDISE जैसे सरकारी डेटाबेस में समय पर अपडेट नहीं होता।
शिक्षक वितरण की असमानता
कुछ स्कूलों में शिक्षक अधिक, छात्र कम।
ग्रामीण या दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षक बहुत कम, बच्चों की संख्या ज्यादा।
निरीक्षण का अभाव
ब्लॉक और जिला स्तर पर निरीक्षण अक्सर कागज़ों तक ही सीमित रहता है।
जमीन पर स्कूलों का हाल देखा नहीं जाता।
राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप
शिक्षक पोस्टिंग और तबादला अक्सर जनसंख्या या आवश्यकता के आधार पर नहीं, बल्कि सिफ़ारिशों और दबाव के आधार पर होता है।
🔹 असर:
बच्चों तक शिक्षा का वास्तविक लाभ नहीं पहुँच पा रहा।
शिक्षक खाली बैठते हैं या एक-एक स्कूल में दबाव में काम कर रहे हैं।
“शिक्षा क्रांति” जैसे घोषणाएं सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गई हैं।

🔹 सुझाव और आवश्यकता:
तुरंत स्कूलों का पुनर्मूल्यांकन और शिक्षक-पोस्टिंग सुधार।
जमीनी निरीक्षण और डेटा अपडेट।
शिक्षा विभाग और सरकार को जवाबदेही तय करनी होगी, ताकि बच्चों तक शिक्षा का लाभ पहुँच सके।
दैनिक भास्कर की इस जांच रिपोर्ट ने प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की वास्तविक स्थिति को उजागर किया है। यह समय की मांग है कि केवल नारे लगाने के बजाय तत्काल कार्रवाई की जाए, ताकि “शिक्षा क्रांति” केवल स्लोगन न रह जाए।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
"हाईकोर्ट ने प्राइव...
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