आलंद ‘वोट चोरी’ मामला: कर्नाटक एसआईटी का बड़ा खुलासा, पूर्व भाजपा विधायक ने अपने ही मतदाताओं को बनाया निशाना
- byAman Prajapat
- 15 December, 2025
लोकतंत्र की आत्मा मतदाता होता है। जब उसी मतदाता पर शक की सुई घूम जाए, तो सवाल सिर्फ चुनाव का नहीं रहता, सवाल सिस्टम का हो जाता है। कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र से सामने आया कथित ‘वोट चोरी’ मामला कुछ ऐसा ही है—पुराने ज़माने की सियासत बनाम नए दौर की जवाबदेही। और इस कहानी के केंद्र में हैं भाजपा के एक पूर्व विधायक, जिन पर अब कर्नाटक की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने गंभीर आरोपों की परतें खोली हैं।
मामला क्या है?
एसआईटी की जांच के मुताबिक, आलंद क्षेत्र में मतदाता सूची से कुछ नामों को हटाने या निशाना बनाने की कोशिश की गई। जांच में यह बात सामने आई कि जिन नामों को हटाने की प्रक्रिया में डाला गया, उन्हें पूर्व विधायक अपना वोटर नहीं मानते थे। सीधे शब्दों में कहें तो—जो “अपने” नहीं लगे, वे सूची से कटने लगे। यही वह बिंदु है जिसने इस पूरे मामले को “वोट चोरी” के गंभीर आरोप तक पहुंचा दिया।
एसआईटी का खुलासा
जांच एजेंसी का कहना है कि यह कोई प्रशासनिक गलती भर नहीं थी। पैटर्न साफ था—
कुछ खास इलाकों के मतदाताओं को बार-बार चिन्हित किया गया
दस्तावेज़ों और शिकायतों के जरिए उनके नामों पर सवाल उठाए गए
और अंततः उन्हें मतदाता सूची से हटाने या संशोधित कराने की कोशिश हुई
एसआईटी के अनुसार, यह सब राजनीतिक लाभ के इरादे से किया गया। पुराने स्कूल की राजनीति, जहां जीत के लिए हर चाल जायज़ समझी जाती है—वही सोच यहां झलकती है।
पूर्व विधायक की भूमिका
पूर्व भाजपा विधायक पर आरोप है कि उन्होंने स्थानीय स्तर पर प्रभाव का इस्तेमाल किया। प्रशासनिक अधिकारियों तक शिकायतें पहुंचाई गईं, यह कहकर कि कुछ मतदाता “संदिग्ध” हैं या “वास्तविक निवासी नहीं”। लेकिन एसआईटी की जांच में जब ज़मीनी सच्चाई टटोल गई, तो पाया गया कि इनमें से कई मतदाता वैध थे, बस राजनीतिक रूप से असहज थे।
साफ-साफ कहें तो—यह वोट की नहीं, भरोसे की चोरी थी।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा की ओर से इस मामले में बचाव का सुर सुनाई दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि
यह सब राजनीतिक बदले की कार्रवाई है
एसआईटी पर दबाव में काम करने के आरोप लगाए गए
और पूर्व विधायक को बेवजह घसीटा जा रहा है
लेकिन सियासत में दावे बहुत होते हैं, और सच वक्त के साथ सामने आता है।
विपक्ष का हमला
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लोकतंत्र पर हमला बताया है। उनका कहना है कि
यदि मतदाता सूची से नाम हटाने की साजिश साबित होती है
तो यह सिर्फ एक नेता का नहीं, बल्कि पूरी प्रक्रिया का अपराध होगा
विपक्ष ने निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
लोकतंत्र पर असर
यह मामला सिर्फ आलंद तक सीमित नहीं है। सवाल बड़ा है—
अगर किसी नेता को यह तय करने का हक मिल जाए कि कौन वोट देगा और कौन नहीं, तो चुनाव का मतलब ही क्या रह जाता है?
पुराने समय में कहा जाता था—“जनता जनार्दन है।”
आज की हकीकत में यह लाइन टेस्ट हो रही है।
कानूनी रास्ता आगे क्या?
एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर
आगे कानूनी कार्रवाई हो सकती है
आरोप तय होने की स्थिति में केस दर्ज हो सकता है
और अदालत में यह तय होगा कि यह प्रशासनिक चूक थी या सुनियोजित साजिश
फिलहाल जांच जारी है, और आलंद की राजनीति उबाल पर है।
निष्कर्ष
आलंद ‘वोट चोरी’ मामला एक चेतावनी है—
लोकतंत्र कोई खेल नहीं, और मतदाता कोई मोहरा नहीं।
आज अगर नाम कटता है, तो कल आवाज़ कटेगी।
सीधी बात, बिना घुमाए—
अगर आरोप सही साबित हुए, तो यह कर्नाटक की राजनीति पर एक गहरा दाग होगा।
और अगर गलत निकले, तो जांच एजेंसियों की साख दांव पर होगी।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
जीणमाता मंदिर के पट...
Related Post
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.



65A7_1765874772.jpg)




0441_1766221588.webp)
