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क्या कद्दू के बीज वाकई सुरक्षित हैं? — आयुर्वेद विशेषज्ञ की चेतावनी: “अति से हो सकती है पाचन गड़बड़ी, वजन बढ़ना और लो ब्लड प्रेशर”

क्या कद्दू के बीज वाकई सुरक्षित हैं? — आयुर्वेद विशेषज्ञ की चेतावनी: “अति से हो सकती है पाचन गड़बड़ी, वजन बढ़ना और लो ब्लड प्रेशर”

🌱 कद्दू के बीज — एक पोषण खज़ाना

पहली बात — कद्दू के बीज वास्तव में पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत हैं। इनमें प्रोटीन, मैग्नीशियम, ज़िंक, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स और हेल्दी फैट्स पाए जाते हैं। 

यदि सीमित मात्रा (मसलन 1–2 बड़े चम्मच = लगभग 15–30 ग्राम) में लिया जाए तो ये दिल की सेहत, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण, इम्यूनिटी और पाचन जैसी कई चीजों में मदद कर सकते हैं। 

कुछ अध्ययन बताते हैं कि कद्दू के बीजों में मौजूद मैग्नीशियम और अन्य खनिज, ब्लड-प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायता देते हैं और नसों को स्वस्थ बनाए रखते हैं। 

इसके अलावा, इनमें ट्रिप्टोफैन और अन्य अमीनो एसिड भी होते हैं, जो नींद व मूड सुधारने में सहायक मानते हैं। 

कुल मिलाकर — अगर सतर्कता से, सीमित मात्रा में लिया जाए — कद्दू के बीज शरीर को कई मायनों में फायदा दे सकते हैं।

⚠️ लेकिन — जब “अति” हो जाए, तो फायदे भी बदल सकते हैं

जैसे हर दवाई या खाद्य पदार्थ के साथ होता है, कद्दू के बीजों के साथ भी संतुलन बहुत जरूरी है। कुछ हालिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की राय कहती है कि अधिक मात्रा या नियमित अनियंत्रित सेवन से ये समस्याएँ हो सकती हैं:

पाचन संबंधित दिक्कतें — कद्दू के बीजों में फाइबर व तेलों की मात्रा पर्याप्त होती है। ज़्यादा खाने पर पेट फूलना, गैस, ऐंठन या अपच जैसी समस्याएं आ सकती हैं। 

वजन बढ़ना — बीज कैलोरी-घने होते हैं। अगर अनजाने में मुट्ठी भर से ज़्यादा खा लिए जाएँ, तो कैलोरी ओवरलोड हो सकता है और वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है। 

लो ब्लड प्रेशर वालों को खतरा — कद्दू के बीजों में मैग्नीशियम व अन्य तत्व ब्लड प्रेशर कम करते हैं। ऐसे में यदि पहले से आपका ब्लड प्रेशर बहुत कम है या आप ब्लड-प्रेशर की दवाई ले रहे हैं, तो ये बीज और भी ज़्यादा प्रेशर गिरा सकते हैं — जिससे चक्कर, कमजोरी आदि हो सकती है। 

एलर्जी और अन्य संवेदनशीलता — कुछ लोगों को बीजों से एलर्जी हो सकती है — स्किन रैश, खुजली, सांस लेने में दिक्कत आदि।

पाचन तंत्र कमजोर वालों के लिए असर — यदि किसी का पाचन तंत्र धीमा या संवेदनशील है, तो कद्दू के बीज कठिन हो सकते हैं, खासकर यदि वो बिना भिगोए या हल्के भुने हुए हों। 

कुछ स्रोतों में ये भी बताया गया है कि बच्चों, गर्भवती/स्तनपान कराने वाली महिलाओं या जिनका पाचन-दigestive सिस्टम कमजोर है — उन्हें इन बीजों के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए। 

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📿 आयुर्वेद व विशेषज्ञों की दृष्टि: मात्रा और तरीका मायने रखता है

एक हालिया आलेख में कहा गया है कि आधुनिक न्यूट्रीशन के साथ-साथ आयुर्वेद की परंपरा भी कहती है कि “अति सर्वत्र वर्जयेत” — यानी कुछ भी, सो संयम से। 

यदि रोजाना सेवन करना हो, तो 15–30 ग्राम यानी 1–2 बड़े चम्मच (एक मुट्ठी) पर्याप्त मानी जाती है। ज़रूरत से ज़्यादा खाने से बचना चाहिए। 

कद्दू के बीजों को हल्का भूनकर, नमक-मीठा मसाले के बिना, या रात में भिगोकर सुबह लेने से पाचन पर हल्का असर होगा — और फायदा भी मिलेगा। 

साथ ही — उन लोगों को, जिनका ब्लड-प्रेशर बहुत कम है, पाचन (इरिटेबल बाउल, गैस, पेट की समस्या) हो, या वे ब्लड-थिनर दवाई ले रहे हों — पहले डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहतर। 

🧑‍⚕️ मेरा सुझाव — सीधा, सरल, आयुर्वेदियत अंदाज़ में

यार, असली बात तो ये है — कद्दू के बीज को दुश्मन समझने की ज़रूरत नहीं, लेकिन उसे 'स्वयं का दोस्त' भी ना बना लो। अगर करना है, तो ऐसे करो:

महीने में कुछ दिन — जैसे सप्ताह में 2–3 दिन — 1 मुट्ठी भुने या भिगोए हुए बीज खाओ।

रोज़ रोज़ “मुट्ठी ऊपर मुट्ठी नीचे” करने जैसा सेवन मत करो — ये पेट व ब्लड-प्रेशर को धक्का दे सकता है।

अगर पेट, बीपी या पाचन में दिक्कत है — पहले काउंसलिंग + डॉक्टर / आयुर्वेदाचार्य से सलाह लो।

बच्चों, गर्भवती महिलाओं, या पाचन कमजोर वालों को सिर्फ डॉक्टर की सलाह के बाद ही देना चाहिए।

क्योंकि, मेरी राय में — प्रकृति ने खाना हमें शक्ति देने के लिए दिया है, ज़हर देने के लिए नहीं। लेकिन जब हम थाली नहीं, पूरी पैन भर लेते हैं, तो वही शक्ति कभी-कभी बोझ बन जाती है।


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