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नवंबर में ऑटो उद्योग की थोक गति बरकरार, मांग में निरंतर मजबूती

नवंबर में ऑटो उद्योग की थोक गति बरकरार, मांग में निरंतर मजबूती

नवंबर माह में भारत का ऑटो उद्योग अपनी थोक गति को मजबूती से जारी रखता हुआ दिखाई दिया। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) द्वारा जारी प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार नवंबर माह में थोक बिक्री में उल्लेखनीय मजबूती दर्ज हुई, जिससे यह संकेत मिलता है कि उद्योग में मांग केवल उत्सवों तक सीमित नहीं रही बल्कि त्योहारों के बाद भी जारी रही है। 

प्रथम दृष्टि में, यात्रियों के लिए निर्मित वाहनों की थोक बिक्री में विशाल उछाल देखने को मिला। पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में इस बार यात्री वाहनों की थोक बिक्री में लगभग दो तिहाई प्रतिशत की वृद्धि हुई और कुल थोक बिक्री लगभग चार लाख पच्चीस हज़ार यूनिट तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष के लगभग तीन लाख पचास हज़ार यूनिट से स्पष्ट बढ़ोतरी है। यह वृद्धि मुख्य रूप से ग्राहकों की मजबूत संयोजित मांग, बेहतर उपलब्धता तथा उपभोक्ता विश्वास से जुड़ी हुई है। 

यह भी देखा गया है कि संशोधित कर संरचना तथा वस्तु एवं सेवा कर में बदलावों के कारण वाहनों की कीमतों में आई कमी ने खरीदारों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया और खरीदारी की गति को ऊपर बढ़ाया। इससे मांग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा और उत्पादन तथा वितरण दोनों ही चरणों में संतुलन देखने को मिला। 

नवंबर माह में ऑटो उद्योग की थोक गति निरंतर आनेवाले महीनों के लिए भी आशा की दृष्टि प्रदान करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि उद्योग में जो गति नवंबर में देखने को मिली है, वह वर्ष के अन्त तक निरंतर रहने की संभावना है यदि मांग तथा उत्पादन संतुलन को बनाए रखा जाता है और बाजार में अनुकूल परिस्थितियाँ बनी रहती हैं।

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पिछले वर्ष की तुलना में इस बार नवंबर माह में वाहनों की मांग में जो निरंतरता देखी गई है, वह दर्शाती है कि उपभोक्ता उत्साह और उन वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रति विश्वास जिनका उत्पादन देश में होता है, में मजबूती आई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत का ऑटो उद्योग अब सिर्फ उत्सवों तक सीमित नहीं है, बल्कि खरीदारों के बीच एक स्थायी रुचि और विश्वास बन चुका है।

इस महीने के प्रदर्शन से यह भी संकेत मिलता है कि अगले वर्ष की शुरुआत में बाजार में और भी सकारात्मक परिणामों की संभावनाएँ हैं, जिससे रोजगार, विनिर्माण क्षमता तथा बाजार की प्रतिस्पर्धा को लाभ पहुंचेगा।

सामान्यतः, नवंबर का महीना उत्सवों के बाद धीमा माना जाता है, किन्तु इस बार यह परंपरा टूटती हुई नजर आई। उद्योग की थोक गति के आंकड़े यह स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि नवंबर में मांग केवल जारी रही बल्कि कई श्रेणियों में पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि भी हुई


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