बिहार में इंसानियत शर्मसार: 8 रुपये के लालच में 5 साल के मासूम से हैवानियत, हालत गंभीर
- byAman Prajapat
- 22 December, 2025
बिहार की धरती, जिसने बुद्ध, महावीर और लोकतंत्र की पहली सांसें देखी हैं, आज फिर एक ऐसे काले सच से रू-बरू है जिसे पढ़कर दिल कांप उठता है। यह कोई साधारण अपराध नहीं, यह इंसान होने पर सवाल है। महज़ 8 रुपये — हाँ, वही 8 रुपये जिनसे आज एक चाय भी ठीक से नहीं आती — उसी कीमत पर एक 5 साल के मासूम बच्चे की मासूमियत को रौंद दिया गया।
🕯️ घटना जिसने पूरे समाज को झकझोर दिया
यह मामला बिहार के एक ग्रामीण इलाके से सामने आया है, जहां आरोपी ने गरीबी और मजबूरी का फायदा उठाते हुए बच्चे को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। आरोप है कि आरोपी ने पैसे का लालच देकर बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन कृत्य किया। घटना के बाद जब बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी, तब परिजनों को शक हुआ।
🏥 अस्पताल में भर्ती, हालत नाज़ुक
पीड़ित बच्चे को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत को गंभीर बताया। मेडिकल जांच में यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है। डॉक्टरों की टीम बच्चे को शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी संभालने की कोशिश कर रही है।
यह सिर्फ शरीर पर लगे ज़ख्म नहीं हैं — यह ज़ख्म सालों तक आत्मा पर रहेंगे।
🚔 पुलिस की कार्रवाई
मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस हरकत में आई। आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने मामला POCSO एक्ट और IPC की सख्त धाराओं में दर्ज किया है। अधिकारियों का कहना है कि आरोपी को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
⚖️ कानून क्या कहता है?
भारत का कानून बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को लेकर साफ और सख्त है।
POCSO Act के तहत इस तरह के अपराध में:
लंबी सजा
भारी जुर्माना
और कई मामलों में उम्रकैद तक का प्रावधान है
लेकिन कड़वा सच ये है — कानून तभी असरदार होता है जब समाज चुप न रहे।
🧠 सवाल सिर्फ कानून का नहीं, सोच का है
यह घटना सिर्फ एक आरोपी की नहीं है।
यह सवाल उठाती है:
हमारे समाज की सोच पर
गरीबी के शोषण पर
बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था पर
और हमारी सामूहिक चुप्पी पर
जब बच्चे डरते हैं, और बड़े चुप रहते हैं — तब ऐसे दरिंदे पैदा होते हैं।

🛑 बच्चों की सुरक्षा: सिर्फ नारा नहीं, ज़िम्मेदारी
ग्रामीण इलाकों में आज भी:
बच्चों को अकेला छोड़ दिया जाता है
उन्हें “छोटा” समझकर अनदेखा किया जाता है
और यौन शिक्षा को शर्म मान लिया जाता है
जबकि सच्चाई ये है — चुप्पी सबसे बड़ा अपराध है।
🕊️ समाज को अब क्या करना चाहिए?
बच्चों को “अच्छा-बुरा स्पर्श” सिखाया जाए
माता-पिता जागरूक हों
स्कूलों में काउंसलिंग हो
और ऐसे मामलों में तुरंत पुलिस को सूचना दी जाए
इंसाफ सिर्फ अदालत में नहीं, समाज में भी होना चाहिए।
🔥 सच कड़वा है, लेकिन बोलना ज़रूरी है
आज वो बच्चा अस्पताल के बिस्तर पर है।
कल कोई और हो सकता है।
अगर आज भी हम इसे “एक और खबर” समझकर स्क्रॉल कर गए — तो कल हमारी खामोशी भी अपराध मानी जाएगी।
✍️ निष्कर्ष
यह घटना हमें याद दिलाती है कि सभ्यता सिर्फ किताबों में नहीं होती, वह व्यवहार में दिखती है।
जब एक मासूम 8 रुपये में बिक जाए — तो समझ लीजिए, सिस्टम फेल हो चुका है।
अब सवाल ये नहीं कि अपराधी कौन है, सवाल ये है — हम कब जागेंगे?
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
राजस्थान में अपराधों...
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