सुबह जिम जाते वक्त जदयू छात्र नेता को गोली मारी गई, बिहार में एक बार फिर अपराधियों का तांडव
- byAman Prajapat
- 24 December, 2025
बिहार में अपराध का ग्राफ फिर चढ़ता दिखा जब सुबह जिम जा रहे जदयू के छात्र नेता सोनू को अपराधियों ने गोली मार दी। घटना से इलाके में दहशत और राजनीति में हलचल मच गई।
📖 Long Description (विस्तृत विवरण)
बिहार की सुबहें कभी ठंडी हवा के लिए जानी जाती थीं, अब गोलियों की आवाज़ से पहचानी जाने लगी हैं। बुधवार की सुबह भी कुछ ऐसी ही थी—अंधेरे और उजाले के बीच का वो वक्त, जब शहर जागता है और लोग अपने दिन की शुरुआत करते हैं। लेकिन उसी वक्त अपराध ने एक बार फिर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
🔴 घटना का पूरा घटनाक्रम
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जदयू से जुड़े छात्र नेता सोनू रोज़ की तरह सुबह अपने घर से जिम जाने के लिए निकले थे। कोई सायरन नहीं, कोई चेतावनी नहीं—बस घात लगाए बैठे अपराधी और एक पल में चली गोली।
गोली लगते ही सोनू सड़क पर गिर पड़े। कुछ सेकंड में माहौल बदल गया—लोगों की चीख-पुकार, भागते कदम, और हर चेहरे पर डर।
🚑 अस्पताल और हालत
घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोग सोनू को नज़दीकी अस्पताल ले गए। डॉक्टरों की टीम ने प्राथमिक इलाज शुरू किया। बताया जा रहा है कि गोली शरीर के अहम हिस्से को छूकर निकली है, जिससे हालत गंभीर बनी हुई है। अस्पताल के बाहर समर्थकों और परिजनों की भीड़ जमा हो गई।
🚔 पुलिस की कार्रवाई
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। इलाके को घेर लिया गया, सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और आसपास के लोगों से पूछताछ जारी है। पुलिस का कहना है कि पुरानी रंजिश, राजनीतिक दुश्मनी या स्थानीय विवाद—हर एंगल से जांच की जा रही है।
🧑🎓 कौन हैं सोनू?
सोनू सिर्फ एक नाम नहीं हैं, बल्कि छात्र राजनीति में उभरता हुआ चेहरा माने जाते हैं। जदयू छात्र संगठन में उनकी अच्छी पकड़ बताई जाती है। कैंपस से लेकर स्थानीय मुद्दों तक, वे सक्रिय रूप से जुड़े रहते थे। यही वजह है कि इस हमले को सिर्फ एक “क्राइम” नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश की तरह भी देखा जा रहा है।
⚠️ इलाके में दहशत
वारदात के बाद पूरे इलाके में डर का माहौल है। सुबह-सुबह टहलने वाले लोग अब घरों में सिमट गए। दुकानों के शटर आधे खुले, आधे बंद—जैसे शहर खुद सोच रहा हो कि अगली गोली किसके नाम की होगी।
🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रिया
घटना के बाद राजनीति भी गरमा गई है। जदयू नेताओं ने इसे कानून-व्यवस्था की खुली चुनौती बताया है। विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि बिहार में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और आम लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

📉 बिहार में बढ़ता अपराध ग्राफ
ये कोई पहली घटना नहीं है।
सुबह की सैर
जिम जाते युवा
कॉलेज के छात्र
राजनीतिक कार्यकर्ता
सब अब अपराधियों की लिस्ट में आते दिख रहे हैं। सवाल सीधा है—जब सुबह का उजाला भी सुरक्षित नहीं, तो रात का अंधेरा क्या करेगा?
🧠 सवाल जो जवाब मांगते हैं
अपराधियों को डर क्यों नहीं है?
क्या राजनीतिक पहचान अब सुरक्षा नहीं, खतरा बन चुकी है?
कब तक बिहार की खबरें गोली, खून और दहशत के इर्द-गिर्द घूमती रहेंगी?
✍️ निष्कर्ष
सोनू पर चली गोली सिर्फ एक इंसान को नहीं लगी, बल्कि बिहार की उस उम्मीद को भी घायल कर गई है जो हर सुबह बेहतर दिन की आस में घर से निकलती है। जिम जाने वाला एक युवा नेता आज अस्पताल के बेड पर है, और पूरा प्रदेश सोच रहा है—अगला नंबर किसका?
यह वक्त सिर्फ जांच का नहीं, जवाबदेही का है। वरना कल की सुबह फिर किसी और की आख़िरी सुबह बन सकती है।
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राजस्थान में अपराधों...
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