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‘मरा हुआ’ आदमी दो महीने बाद जिंदा लौटा गांव, चार लोगों पर दर्ज हत्या का केस खत्म; छत्तीसगढ़ के जशपुर में हैरान करने वाला मामला

‘मरा हुआ’ आदमी दो महीने बाद जिंदा लौटा गांव, चार लोगों पर दर्ज हत्या का केस खत्म; छत्तीसगढ़ के जशपुर में हैरान करने वाला मामला

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से सामने आया यह मामला न सिर्फ पुलिस और प्रशासन के लिए बल्कि पूरे इलाके के लोगों के लिए भी किसी झटके से कम नहीं है। जिस व्यक्ति को मृत मानकर उसका अंतिम संस्कार तक कर दिया गया था, वही व्यक्ति करीब दो महीने बाद जिंदा, स्वस्थ और खुद चलकर अपने गांव लौट आया। इस घटना ने पूरे केस की नींव हिला दी और चार निर्दोष लोगों पर दर्ज मर्डर केस खत्म करना पड़ा

🔍 क्या है पूरा मामला?

यह मामला जशपुर जिले के एक आदिवासी बहुल गांव से जुड़ा है। करीब दो महीने पहले गांव से एक व्यक्ति अचानक लापता हो गया था। कुछ दिनों बाद पास के जंगल इलाके में एक अज्ञात शव मिला। शव की हालत खराब थी, चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था।

गांव वालों और परिजनों ने कपड़ों और कद-काठी के आधार पर शव को उसी लापता व्यक्ति का मान लिया। जल्दबाजी में पुलिस ने भी पहचान को लेकर गहराई से जांच नहीं की और शव को उसी व्यक्ति का मानते हुए मर्ग कायम कर दिया गया

⚖️ हत्या का केस कैसे बना?

जांच के दौरान गांव के ही चार लोगों पर शक गहराया। आपसी रंजिश, पुरानी कहासुनी और चश्मदीदों के कथित बयानों के आधार पर पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया

चारों आरोपियों को हिरासत में लिया गया, उनसे पूछताछ हुई और गांव में यह चर्चा फैल गई कि हत्या हो चुकी है और आरोपी पकड़े जा चुके हैं।

⚰️ दफनाया गया ‘मृत’ व्यक्ति

पुलिस कार्रवाई के बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। परिवार ने भी भारी मन से मृत मानकर सभी रस्में पूरी कर दीं। गांव में शोक का माहौल था और माना जा रहा था कि मामला अब कोर्ट तक जाएगा।

लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

🚶‍♂️ दो महीने बाद जिंदा लौटा आदमी

करीब दो महीने बाद एक दिन गांव में अचानक वही व्यक्ति खुद पैदल चलता हुआ गांव में दाखिल हुआ, जिसे सब मरा हुआ मान चुके थे।

उसे देखकर लोग दंग रह गए। पहले तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ। मां-बाप, रिश्तेदार, पड़ोसी—सबकी आंखों के सामने मानो भूत खड़ा हो।

उस व्यक्ति ने बताया कि वह किसी निजी कारण से गांव छोड़कर चला गया था और दूसरे जिले में मजदूरी कर रहा था। उसका जंगल में मिले शव से कोई लेना-देना नहीं था

😲 पुलिस के उड़े होश

जैसे ही यह खबर पुलिस तक पहुंची, पूरे मामले में हड़कंप मच गया। तत्काल जांच दोबारा शुरू की गई। जिंदा लौटे व्यक्ति के बयान दर्ज किए गए, पहचान की पुष्टि हुई और फिर साफ हो गया कि जिस शव को उसकी पहचान मानकर दफनाया गया था, वह किसी और का था

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चार लोगों पर से मर्डर केस खत्म

सच्चाई सामने आने के बाद पुलिस को चारों आरोपियों पर दर्ज हत्या का केस खत्म करना पड़ा। जिन लोगों पर दो महीने तक हत्या का आरोप लगा रहा, वे बेगुनाह साबित हुए।

पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि पहचान में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई और अज्ञात शव की असली पहचान क्या है।

🧠 सिस्टम पर उठे सवाल

यह मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है—

बिना पुख्ता पहचान के शव को कैसे सौंप दिया गया?

डीएनए टेस्ट या वैज्ञानिक जांच क्यों नहीं कराई गई?

निर्दोष लोगों को जेल और सामाजिक बदनामी का जिम्मेदार कौन?

👥 गांव में मिली-जुली प्रतिक्रिया

जहां एक ओर परिवार अपने जिंदा लौटे सदस्य को देखकर खुश है, वहीं दूसरी ओर जिन चार लोगों पर हत्या का आरोप लगा था, उनका कहना है कि उन्हें मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से भारी नुकसान हुआ है।

🏛️ प्रशासन की सफाई

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की आंतरिक जांच की जा रही है। लापरवाही सामने आने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

🔚 निष्कर्ष

जशपुर का यह मामला बताता है कि एक छोटी सी जांच में चूक कैसे कई जिंदगियों को तबाह कर सकती है। एक आदमी को मरा मान लिया गया, चार लोग हत्यारे बना दिए गए और सच्चाई दो महीने बाद सामने आई।

यह कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट जैसी लगती है, लेकिन हकीकत है—कड़वी, चौंकाने वाली और सिस्टम को आईना दिखाने वाली।


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