डॉक्टर ही निकला डॉक्टर का दुश्मन: अपहरण के बाद हत्या की साजिश, आख़िरी वक्त पर ऐसे हुआ खौफनाक प्लान नाकाम
- byAman Prajapat
- 20 December, 2025
जहाँ भरोसे की उम्मीद थी, वहीं से धोखा निकला
सफेद कोट, स्टेथोस्कोप और सेवा की शपथ—डॉक्टर को हमेशा भगवान का दर्जा दिया जाता है। लेकिन इस सनसनीखेज मामले ने उस भरोसे पर गहरी दरार डाल दी, जब यह सामने आया कि एक डॉक्टर ही दूसरे डॉक्टर का सबसे बड़ा दुश्मन बन बैठा।
यह कहानी सिर्फ अपराध की नहीं है,
यह ईर्ष्या, पेशेवर प्रतिस्पर्धा और अहंकार की उस आग की है,
जो इंसान को इंसान नहीं रहने देती।
🧠 पेशेवर दुश्मनी से शुरू हुआ जहर
जानकारी के मुताबिक, दोनों डॉक्टर एक ही क्षेत्र में प्रैक्टिस करते थे।
मरीजों की संख्या, बढ़ती लोकप्रियता और आर्थिक सफलता—यहीं से जलन ने जन्म लिया।
धीरे-धीरे यह जलन बदली:
मानसिक तनाव में
बदले की भावना में
और फिर एक खौफनाक अपराध की योजना में
जिस डॉक्टर को समाज जीवन बचाने वाला मानता है,
वही दूसरे की जिंदगी खत्म करने की प्लानिंग कर रहा था।
🚨 अपहरण की साजिश: स्क्रिप्ट किसी क्राइम थ्रिलर से कम नहीं
योजना पूरी तरह प्रोफेशनल अंदाज़ में बनाई गई थी:
पीड़ित डॉक्टर की दिनचर्या पर नजर
आने-जाने के रास्तों की रेकी
बाहरी अपराधियों से संपर्क
और अपहरण के बाद हत्या की पूरी स्क्रिप्ट
मकसद साफ था—
रास्ते से हमेशा के लिए हटाना।
⏱️ लेकिन किस्मत ने दिया धोखा
कहते हैं न,
“जुर्म कितना भी चालाक हो, सच कभी न कभी फिसल ही जाता है।”
पुलिस को समय रहते इनपुट मिला।
टेक्निकल सर्विलांस, कॉल डिटेल्स और संदिग्ध गतिविधियों ने पूरे मामले की परतें खोल दीं।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी,
एक-एक करके सारे तार उस डॉक्टर तक पहुँच गए,
जिसे कोई शक की नजर से भी नहीं देख रहा था।
👮 पुलिस की सूझबूझ से टला कत्ल
पुलिस ने:
संभावित अपहरण से पहले ही घेराबंदी की
आरोपियों को हिरासत में लिया
और पीड़ित डॉक्टर को सुरक्षित निकाला
अगर कुछ घंटे और देर हो जाती,
तो यह मामला हत्या की फाइल में दर्ज हो चुका होता।
⚖️ कानून के कटघरे में खड़ा ‘भगवान’
अब आरोपी डॉक्टर:
पुलिस रिमांड में है
मेडिकल लाइसेंस पर खतरा मंडरा रहा है
और समाज में उसकी छवि पूरी तरह टूट चुकी है
जिस हाथ से इलाज होना था,
उसी हाथ से साजिश लिखी जा रही थी—
यह बात लोगों को अंदर तक हिला गई।

🏥 मेडिकल प्रोफेशन पर उठे गंभीर सवाल
यह मामला सिर्फ एक अपराध नहीं,
यह पूरे सिस्टम के लिए चेतावनी है।
क्या पेशेवर प्रतिस्पर्धा अब जानलेवा होती जा रही है?
क्या डॉक्टर भी अब कॉरपोरेट लड़ाई में फंस चुके हैं?
क्या सफेद कोट भरोसे की गारंटी नहीं रहा?
ये सवाल अब हर मरीज के मन में हैं।
🗣️ जनता की प्रतिक्रिया: गुस्सा, डर और अफसोस
सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं:
“अगर डॉक्टर ही सुरक्षित नहीं, तो आम आदमी क्या है?”
“जलन ने इंसान को हैवान बना दिया।”
“ऐसे लोगों को पेशे से हमेशा के लिए बाहर करना चाहिए।”
जनता की मांग साफ है—
सख्त सजा और जीरो टॉलरेंस।
🧩 इस मामले से क्या सीख मिलती है?
✔️ प्रतिस्पर्धा करो, लेकिन इंसानियत मत खोओ
✔️ सफलता किसी की दुश्मन नहीं होती
✔️ कानून से कोई ऊपर नहीं
✔️ सफेद कोट भी इंसान पहनता है—भगवान नहीं
🔚 निष्कर्ष (Conclusion)
यह घटना हमें याद दिलाती है कि
अपराध चेहरा नहीं देखता,
डिग्री नहीं पूछता,
और पेशा नहीं मानता।
जब लालच और जलन हावी हो जाए,
तो भगवान कहलाने वाला भी
कातिल बनने से नहीं चूकता।
सौभाग्य से, इस बार
सच समय पर सामने आ गया—
और एक जान बच गई।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
राजस्थान में अपराधों...
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