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अमेरिकी दूतावासों में वीज़ा देरी का संकट: गूगल ने अमेरिकी वीज़ा वाले कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा से किया आगाह

अमेरिकी दूतावासों में वीज़ा देरी का संकट: गूगल ने अमेरिकी वीज़ा वाले कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा से किया आगाह

दुनिया बदल रही है, टेक्नोलॉजी उड़ान भर रही है, लेकिन काग़ज़ी काम… वही पुराना, भारी और सुस्त। इसी टकराव की कहानी है यह खबर — जहाँ एक तरफ़ दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक Google है और दूसरी तरफ़ अमेरिकी दूतावासों की धीमी वीज़ा प्रक्रिया

हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल ने अपने उन कर्मचारियों को, जो अमेरिकी वीज़ा (खासतौर पर H-1B और अन्य वर्क वीज़ा) पर अमेरिका में काम कर रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचने की सलाह दी है। वजह साफ है — अगर आप बाहर गए और वापस आने में वीज़ा फँस गया, तो सिस्टम आपको बचाने नहीं आएगा।

✈️ यात्रा अब जोखिम बन चुकी है

पहले विदेश यात्रा एक ब्रेक होती थी — घर जाना, परिवार से मिलना, त्योहार मनाना।
अब?
अब वही यात्रा नौकरी पर तलवार बनकर लटक रही है।

अमेरिकी दूतावासों और कांसुलेट्स में वीज़ा अपॉइंटमेंट की भारी कमी, इंटरव्यू में देरी और बैकलॉग ने हालात ऐसे बना दिए हैं कि एक बार देश छोड़ा, तो वापसी की कोई गारंटी नहीं।

गूगल ने अपने इंटरनल कम्युनिकेशन में साफ कहा है कि जब तक बेहद ज़रूरी न हो, तब तक अमेरिका से बाहर न जाएँ।

सीधा संदेश, बिना मीठी चाशनी के।

🏢 टेक इंडस्ट्री में बढ़ती बेचैनी

गूगल अकेली कंपनी नहीं है जो इस परेशानी से जूझ रही है।
लेकिन फर्क ये है कि गूगल ने वो बात ज़ोर से कही है, जो बाकी कंपनियाँ फुसफुसा रही थीं।

अमेरिका की टेक इंडस्ट्री बड़ी मात्रा में इमिग्रेंट टैलेंट पर टिकी है — भारत, चीन, यूरोप, लैटिन अमेरिका से आए इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, AI रिसर्चर।

अब वही लोग अनिश्चितता में जी रहे हैं:

क्या मैं शादी में जा पाऊँगा?

क्या माँ की तबीयत बिगड़ी तो पहुँच पाऊँगा?

क्या छुट्टी लेने की कीमत मेरी नौकरी होगी?

🛂 वीज़ा सिस्टम की जड़ में क्या गड़बड़ है?

कोविड के बाद से अमेरिकी वीज़ा सिस्टम कभी पूरी तरह पटरी पर नहीं लौटा।
स्टाफ की कमी, बढ़ते आवेदन, सख्त इमिग्रेशन नीतियाँ — सब मिलकर एक ऐसा जाल बना चुके हैं जिसमें सबसे ज़्यादा फँस रहा है स्किल्ड वर्कर।

इंटरव्यू की तारीखें महीनों आगे की मिल रही हैं।
कुछ मामलों में पासपोर्ट हफ्तों तक दूतावास में अटका रहता है।

और टेक की दुनिया में?
हफ्ते नहीं, घंटों की कीमत होती है

🌍 भारत जैसे देशों पर सीधा असर

भारत से अमेरिका में काम करने वाले प्रोफेशनल्स की संख्या लाखों में है।
Google, Microsoft, Amazon — हर बड़ी कंपनी में भारतीय टैलेंट रीढ़ की हड्डी है।

अब जब ऐसी चेतावनी आती है, तो इसका असर सिर्फ कर्मचारियों पर नहीं, उनके परिवारों, योजनाओं और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।

घर जाने का सपना?
फिलहाल होल्ड पर।

Microsoft, Google, Amazon are urging H-1B employees 'not to leave the US' |  Hindustan Times
Google Warns U.S. Visa-Holding Staff Against International Travel Amid Embassy Delays: Report

📉 कंपनियों के लिए भी खतरे की घंटी

जब कर्मचारी फँसते हैं, तो प्रोजेक्ट रुकते हैं।
जब प्रोजेक्ट रुकते हैं, तो पैसा जलता है।

गूगल जैसी कंपनियाँ रिस्क नहीं लेना चाहतीं। इसलिए यह चेतावनी सिर्फ सुरक्षा सलाह नहीं, बल्कि बिज़नेस डिसीजन भी है।

🧠 एक पुरानी व्यवस्था, नए ज़माने की ज़रूरतें

यह पूरी कहानी हमें एक सच्चाई की याद दिलाती है —
दुनिया डिजिटल हो चुकी है, लेकिन इमिग्रेशन सिस्टम अभी भी फाइलों में जी रहा है।

जब तक नीतियाँ समय के साथ नहीं बदलेंगी, तब तक टैलेंट उड़ान भरेगा… लेकिन डर के साथ।

🔚 आख़िरी बात, बिना घुमाए

गूगल की चेतावनी कोई अफवाह नहीं, कोई डराने की चाल नहीं।
ये एक आईना है — उस सिस्टम का, जो दुनिया के सबसे तेज़ दिमागों को भी रोक सकता है।

आज सफर सिर्फ टिकट का सवाल नहीं है,
आज सफर स्टेटस, स्टैम्प और सिस्टम का खेल बन चुका है।

और फिलहाल, इस खेल में सावधानी ही समझदारी है।


Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

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