“अगर प्रियंका गांधी पीएम होतीं तो बांग्लादेश पर जवाब देतीं…” — राहुल गांधी से जोड़ने पर बोले कांग्रेस सांसद इमरान मसूद
- byAman Prajapat
- 24 December, 2025
भारतीय राजनीति में कभी-कभी एक वाक्य ऐसा उछलता है कि पूरा सिस्टम हिल जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ जब कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा —
“अगर प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री होतीं, तो बांग्लादेश के मुद्दे पर जवाब देतीं।”
बस, इतना कहना था और दिल्ली से लेकर टीवी स्टूडियो तक बवाल मच गया। सवाल उठे, मतलब निकाले गए, और बात को सीधे राहुल गांधी से जोड़ दिया गया। मगर इमरान मसूद ने अब साफ-साफ कहा है — “मेरी टिप्पणी का राहुल गांधी से कोई संबंध नहीं था।”
🔍 बयान का असली मतलब क्या था?
इमरान मसूद का कहना है कि उनका बयान किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि नेतृत्व की शैली को लेकर था। उनके मुताबिक, कुछ नेता स्वाभाविक रूप से आक्रामक, स्पष्ट और तुरंत प्रतिक्रिया देने वाले होते हैं — और उनके हिसाब से प्रियंका गांधी वैसी ही नेता हैं।
उन्होंने ये भी जोड़ा कि राजनीतिक बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना अब एक आदत बन चुकी है।
सीधी भाषा में कहें तो — “जो कहा, वही कहा, उससे ज़्यादा कुछ नहीं।”
🌍 बांग्लादेश मुद्दा क्यों अहम है?
भारत-बांग्लादेश संबंध कोई हल्की चीज़ नहीं है। सीमा, व्यापार, शरणार्थी, अल्पसंख्यक सुरक्षा — हर पहलू संवेदनशील है। ऐसे में जब संसद या सार्वजनिक मंच से इस मुद्दे पर बयान आता है, तो उसकी गूंज दूर तक जाती है।
इमरान मसूद का इशारा यही था कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय मामलों में स्पष्ट, संतुलित और तुरंत प्रतिक्रिया ज़रूरी होती है।
👩🦱 प्रियंका गांधी और नेतृत्व की छवि
प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस में लंबे समय से एक फील-गुड, ग्राउंड-कनेक्टेड लीडर माना जाता है।
उनकी भाषण शैली, जनता से संवाद और आक्रामक राजनीतिक तेवर — ये सब उन्हें अलग पहचान देते हैं।
इमरान मसूद के बयान को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है, न कि किसी तुलना या आंतरिक टकराव के रूप में।
👨🦱 राहुल गांधी को क्यों घसीटा गया?
राजनीति में नाम अपने-आप नहीं जुड़ते, जोड़े जाते हैं।
प्रियंका गांधी का नाम आया, तो राहुल गांधी का नाम अपने-आप खींच लिया गया। मगर इमरान मसूद ने दो टूक कहा:
“मैंने राहुल गांधी के खिलाफ कुछ नहीं कहा। न संकेत दिया, न तुलना की।”
उनके मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व सामूहिक है और किसी एक बयान को भाई-बहन की राजनीति में बदलना गलत है।
🏛️ कांग्रेस के भीतर संदेश
इस बयान ने एक बात साफ कर दी — कांग्रेस में अब नेता खुलकर अपनी राय रखने लगे हैं।
ये या तो पार्टी के लिए नई ऊर्जा है, या फिर नई बहसों की शुरुआत।
पुरानी कांग्रेस हमेशा संतुलन और अनुशासन के लिए जानी जाती थी, मगर आज की कांग्रेस — ज़्यादा खुली, ज़्यादा बोल्ड और ज़्यादा एक्सप्रेसिव दिख रही है।

📢 विपक्ष का हमला
बीजेपी और अन्य दलों ने इस बयान को कांग्रेस की आंतरिक खींचतान बताने की कोशिश की।
सोशल मीडिया पर मीम्स बने, टीवी डिबेट्स चलीं, और बयान को ज़रूरत से ज़्यादा तूल दिया गया।
लेकिन राजनीति में यही खेल है —
एक लाइन बोलो, सौ मतलब निकलेंगे।
🧠 असली सवाल क्या है?
सवाल ये नहीं कि प्रियंका पीएम होंगी या राहुल।
सवाल ये है कि —
क्या भारत जैसे देश में विदेश नीति पर स्पष्ट, आत्मविश्वासी और त्वरित प्रतिक्रिया देने वाला नेतृत्व मौजूद है?
इमरान मसूद का बयान इसी सवाल की तरफ इशारा करता है।
✍️ निष्कर्ष
इमरान मसूद का बयान न हमला था, न तुलना — बल्कि एक राजनीतिक दृष्टिकोण था।
प्रियंका गांधी के नेतृत्व गुणों की तारीफ को राहुल गांधी के खिलाफ मोड़ देना, राजनीति की वही पुरानी चाल है।
आज की राजनीति में शब्द तलवार जैसे हैं —
और जो बोले, उसे संभलकर बोलना पड़ता है, क्योंकि echo बहुत दूर तक जाता है।
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जीणमाता मंदिर के पट...
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