मनरेगा पर संकट: मल्लिकार्जुन खड़गे का बड़ा ऐलान, योजना खत्म करने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का आह्वान
- byAman Prajapat
- 27 December, 2025
देश की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) एक बार फिर सियासी भूचाल के केंद्र में है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस योजना को कमजोर करने और कथित तौर पर खत्म करने की कोशिशों के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाने का ऐलान कर दिया है।
खड़गे का यह बयान ऐसे समय आया है जब लगातार विपक्ष यह आरोप लगा रहा है कि केंद्र सरकार मनरेगा के बजट में कटौती कर रही है और इसे धीरे-धीरे अप्रासंगिक बनाने की दिशा में बढ़ रही है।
🔴 खड़गे का तीखा हमला
मल्लिकार्जुन खड़गे ने दो टूक शब्दों में कहा कि
“मनरेगा गरीबों का सहारा है, इसे खत्म करना करोड़ों ग्रामीण परिवारों की रोज़ी-रोटी छीनने जैसा है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर फंड नहीं दे रही, मजदूरी भुगतान में देरी हो रही है और काम के दिनों को सीमित किया जा रहा है ताकि लोग खुद ही इस योजना से दूर हो जाएं।
🟠 क्या सच में खत्म हो रही है मनरेगा?
सरकार भले ही आधिकारिक तौर पर मनरेगा को खत्म करने से इनकार करती रही हो, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं।
बजट में कटौती
भुगतान में महीनों की देरी
जॉब कार्ड धारकों की संख्या में गिरावट
राज्यों पर बढ़ता बोझ
इन सभी बातों को विपक्ष मनरेगा को “धीरे-धीरे मारने की रणनीति” बता रहा है।
🟡 देशव्यापी अभियान का प्लान
कांग्रेस के अनुसार यह अभियान सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहेगा।
गांव-गांव जनसभाएं
जिला स्तर पर धरने
सोशल मीडिया कैंपेन
राज्यपालों को ज्ञापन
संसद से सड़क तक विरोध
खड़गे ने पार्टी कार्यकर्ताओं को साफ संदेश दिया कि यह लड़ाई गरीब, मजदूर और किसान के हक की है।
🟢 ग्रामीण भारत पर असर
मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ मानी जाती है।
सूखा, बेरोज़गारी, महंगाई — हर संकट में यही योजना आखिरी सहारा बनती है।
अगर यह कमजोर होती है तो:
पलायन बढ़ेगा
गरीबी बढ़ेगी
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगेगा
यही वजह है कि खड़गे इसे “गरीब विरोधी राजनीति” करार दे रहे हैं।

🔵 सरकार का पक्ष
वहीं सरकार का कहना है कि
मनरेगा में पारदर्शिता लाई जा रही है
फर्जीवाड़े रोके जा रहे हैं
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से सुधार हुआ है
लेकिन विपक्ष का तर्क है कि सुधार के नाम पर योजना को पंगु बनाया जा रहा है।
🟣 राजनीतिक मायने
विशेषज्ञ मानते हैं कि मनरेगा आने वाले चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
ग्रामीण वोट बैंक, बेरोज़गारी और महंगाई — तीनों का सीधा कनेक्शन मनरेगा से है।
खड़गे का यह अभियान कांग्रेस को गांवों में दोबारा मजबूत करने की रणनीति भी माना जा रहा है।
⚫ निष्कर्ष
मनरेगा पर छिड़ी यह लड़ाई सिर्फ एक योजना की नहीं, बल्कि देश की सामाजिक-आर्थिक दिशा तय करने की लड़ाई है।
मल्लिकार्जुन खड़गे का देशव्यापी अभियान आने वाले दिनों में राजनीति को और गर्म करने वाला है।
अब देखना यह होगा कि सरकार इस दबाव का जवाब कैसे देती है —
संवाद से, सुधार से या टकराव से।
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