मिनी माथुर का प्रोटीन उत्तपम: इसबगोल के साथ स्वाद, सेहत और आंतों का सच
- byAman Prajapat
- 17 December, 2025
पुराने ज़माने में दादी-नानी एक बात कहती थीं—खाना दवा है, बस सही तरह से खाओ। आज वही बात नए दौर की भाषा में लौट रही है, और इस बार वजह बनी हैं मिनी माथुर। उन्होंने अपने रसोईघर से एक ऐसा नाश्ता साझा किया है, जो दिखने में सादा है, पर असर में दमदार—इसबगोल वाला प्रोटीन उत्तपम। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं, “क्या ये सच में आंतों के लिए अच्छा है, या बस एक और फिटनेस ट्रेंड?”
सीधी बात करें तो ट्रेंड आते-जाते रहते हैं, लेकिन कुछ चीज़ें टिकती हैं क्योंकि उनमें दम होता है। उत्तपम कोई नया पकवान नहीं है। दक्षिण भारत के घरों में यह सालों से बनता आ रहा है—चावल, दाल, तवे की आंच और थोड़ा सा धैर्य। फर्क बस इतना है कि इस बार उसमें जोड़ा गया है प्रोटीन का ज़ोर और इसबगोल की समझदारी।
इसबगोल: पुरानी चीज़, नया रोल
इसबगोल हमारी रसोई में कोई विदेशी मेहमान नहीं। कब्ज़ हो, पेट भारी लगे या पाचन गड़बड़—पहला नाम यही लिया जाता है। इसकी खासियत है घुलनशील रेशा, जो आंतों में पानी सोखकर जेल जैसा बनता है। इससे मल नरम होता है, आंतों की चाल सुधरती है और पेट साफ़ रहने में मदद मिलती है।
पर बात यहीं खत्म नहीं होती। सही मात्रा में लिया गया इसबगोल आंतों के अच्छे जीवाणुओं को भी सहारा देता है। यानी पेट के अंदर जो माइक्रो दुनिया है, वहां संतुलन बनता है। यही वजह है कि पोषण विशेषज्ञ इसे “आंतों का दोस्त” कहते हैं—बशर्ते इसे समझदारी से खाया जाए।
प्रोटीन उत्तपम: पेट भरे, मन शांत
मिनी माथुर की रेसिपी में उत्तपम के घोल को प्रोटीन से भरपूर बनाया गया है—दालों का सही अनुपात, कभी-कभी पनीर या दही का इस्तेमाल, और ऊपर से सब्ज़ियों की रंगीन परत। यह नाश्ता पेट को देर तक भरा रखता है। जो लोग सुबह-सुबह मीठा या तला-भुना खाकर दो घंटे में फिर भूख से परेशान हो जाते हैं, उनके लिए यह गेम बदलने वाला विकल्प है।
प्रोटीन मांसपेशियों के लिए ही नहीं, पाचन के लिए भी जरूरी है। यह रक्त शर्करा को धीरे-धीरे बढ़ाता है, जिससे अचानक थकान या चिड़चिड़ापन नहीं आता। सीधे शब्दों में—ऊर्जा स्थिर रहती है।
बेंगलुरु के पोषण विशेषज्ञ की खरी-खरी
पोषण विशेषज्ञ साफ़ कहते हैं—यह नाश्ता आंतों के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन मात्रा और संयोजन सबसे अहम है। इसबगोल बहुत ताकतवर रेशा है। अगर ज़्यादा डाल दिया, तो फायदा कम और पेट फूलना ज़्यादा हो सकता है। दिन में एक बार, सीमित मात्रा में, और साथ में पर्याप्त पानी—यही सही तरीका है।
उनका कहना है कि उत्तपम जैसे किण्वित भोजन अपने आप में पाचन के लिए सहायक होते हैं। जब इसमें इसबगोल जोड़ा जाता है, तो असर और बेहतर हो सकता है। लेकिन हर शरीर अलग होता है। जिसे पहले से गैस या संवेदनशील आंतों की समस्या है, उसे धीरे-धीरे शुरू करना चाहिए।

सोशल मीडिया बनाम ज़मीनी सच्चाई
आजकल हर रेसिपी पर दो खेमे बन जाते हैं—एक कहता है, “वाह, सुपरफूड,” दूसरा बोलता है, “सब दिखावा।” सच्चाई बीच में होती है। इसबगोल वाला प्रोटीन उत्तपम कोई जादुई गोली नहीं, लेकिन सही जीवनशैली का मजबूत हिस्सा बन सकता है।
पुरानी सोच कहती है—घर का खाना, समय पर खाना, और पेट की सुनना। यही सोच मिनी माथुर की इस रेसिपी में झलकती है। न कोई फैंसी सप्लीमेंट, न अजीब नियम। बस वही सामग्री, जिसे हम बरसों से जानते हैं, थोड़ी समझदारी के साथ।
किन लोगों को होगा ज़्यादा फायदा
जो लोग बैठकर काम करते हैं, जिनकी दिनचर्या अनियमित है, या जिन्हें अक्सर कब्ज़ और भारीपन महसूस होता है—उनके लिए यह नाश्ता राहत दे सकता है। वजन नियंत्रित करना चाहते हैं, उनके लिए भी यह अच्छा विकल्प है क्योंकि यह ज़्यादा खाने से रोकता है।
सावधानी भी ज़रूरी
सीधी बात—हर अच्छी चीज़ ज़्यादा हो जाए तो परेशानी बन जाती है। इसबगोल के साथ पानी कम पिया, तो उल्टा असर हो सकता है। गर्भवती महिलाएं, बुज़ुर्ग या जो दवाइयां ले रहे हैं, उन्हें पहले विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
आख़िरी बात
यह रेसिपी हमें एक पुराना सबक याद दिलाती है—सेहत किसी ट्रेंड से नहीं, रोज़ की आदतों से बनती है। इसबगोल वाला प्रोटीन उत्तपम कोई क्रांति नहीं, बल्कि परंपरा का आधुनिक रूप है। दिखावे से दूर, असर में सच्चा। अगर खाना दिल से बनाओ और समझ से खाओ, तो आंतें भी शुक्रिया कहती हैं।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
देखिए सुष्मिता सेन...
Related Post
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.








0441_1766221588.webp)
