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तेलंगाना भाजपा में गुटबाजी की आग, पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सख्त नसीहत

तेलंगाना भाजपा में गुटबाजी की आग, पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सख्त नसीहत

तेलंगाना की राजनीति इन दिनों उथल-पुथल से भरी हुई है और भारतीय जनता पार्टी इस अशांत माहौल के केंद्र में खड़ी दिखाई दे रही है। कभी जिस पार्टी को राज्य में उभरती हुई ताकत माना जा रहा था, आज वही पार्टी अंदरूनी कलह और गुटबाजी के दलदल में फंसी नजर आ रही है। नेताओं के बीच आपसी खींचतान, बयानबाज़ी और सत्ता की होड़ ने संगठन की जड़ों को हिलाकर रख दिया है। ऐसे नाज़ुक समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाला और तेलंगाना भाजपा के सांसदों को साफ, दो टूक और बिना लाग-लपेट की नसीहत दी।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी की असली ताकत अनुशासन, संगठन और जनता से जुड़ाव में है, न कि आपसी लड़ाई और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा में। उन्होंने सांसदों को याद दिलाया कि भाजपा की पहचान सत्ता से नहीं, सेवा से बनी है और अगर यही मूल मंत्र भूल गया तो पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

गुटबाजी की जड़ें और बढ़ती चिंता

तेलंगाना भाजपा में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के महीनों में यह समस्या खुलकर सामने आई है। अलग-अलग खेमों में बंटे नेता सार्वजनिक मंचों से एक-दूसरे पर निशाना साधते दिखे। संगठनात्मक फैसलों पर सवाल उठे, नेतृत्व को लेकर असंतोष जाहिर हुआ और इसका सीधा असर जमीनी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ा।

प्रधानमंत्री मोदी ने इसी मुद्दे को सबसे पहले उठाया। उन्होंने कहा कि जब ऊपर बैठे नेता आपस में उलझते हैं, तो नीचे खड़ा कार्यकर्ता भ्रमित होता है और विपक्ष को फायदा मिलता है। यह स्थिति किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है।

पीएम मोदी की साफ सलाह: पहले पार्टी, फिर पद

प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों से कहा कि उन्हें यह तय करना होगा कि वे पार्टी के लिए राजनीति कर रहे हैं या अपनी राजनीति के लिए पार्टी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भाजपा में पद अस्थायी होते हैं, लेकिन पार्टी और विचारधारा स्थायी है।

उन्होंने सांसदों को सलाह दी कि:

व्यक्तिगत मतभेदों को सार्वजनिक मंच पर न लाएं

संगठन के फैसलों का सम्मान करें

मीडिया के सामने बयानबाज़ी से बचें

आपसी संवाद के जरिए समस्याओं का समाधान करें

पीएम मोदी का संदेश बिल्कुल सीधा था—अगर अंदर की लड़ाई नहीं रुकी, तो बाहर की लड़ाई जीतना नामुमकिन हो जाएगा।

जनता से जुड़ने पर जोर

प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों को यह भी याद दिलाया कि भाजपा की असली पूंजी जनता का विश्वास है। उन्होंने कहा कि नेताओं को एयर-कंडीशंड कमरों से बाहर निकलकर गांवों, कस्बों और मोहल्लों में जाना होगा। जनता के मुद्दे सुनने होंगे, उनके दुख-दर्द को समझना होगा और समाधान के लिए जमीन पर काम करना होगा।

उन्होंने साफ कहा कि सोशल मीडिया की राजनीति और आपसी ट्वीट वार से पार्टी नहीं चलती। पार्टी चलती है कार्यकर्ता की मेहनत, जनता की सेवा और संगठन की एकता से।

संगठन को मजबूत करने का रोडमैप

पीएम मोदी ने सांसदों को संगठनात्मक मजबूती के लिए कुछ अहम दिशा-निर्देश भी दिए:

मंडल और बूथ स्तर पर संगठन को सक्रिय करना

पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को सम्मान देना

नए कार्यकर्ताओं को जोड़ना और प्रशिक्षित करना

सरकार की योजनाओं को जनता तक सही तरीके से पहुंचाना

उन्होंने कहा कि तेलंगाना में भाजपा के पास अवसर है, लेकिन अवसर तभी काम आएगा जब संगठन एकजुट होगा।

PM Modi Declares Telangana's Shift Towards BJP Amid Frustration with  Congress and BRS | Hyderabad News - Times of India
Telangana BJP Battles Factionalism; What PM Modi Advised MPs to Do to Steady the Party

विपक्ष को न मिले अंदरूनी लड़ाई का मौका

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी चेताया कि कांग्रेस और अन्य दल भाजपा की अंदरूनी कमजोरी पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष वही करता है जो उसे आता है—मौका मिलते ही वार। इसलिए भाजपा नेताओं को विपक्ष को मौका नहीं देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जब भाजपा के नेता आपस में लड़ते हैं, तो विपक्ष बिना मेहनत किए मजबूत हो जाता है। यह पार्टी के भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है।

नेतृत्व पर भरोसा रखने की अपील

पीएम मोदी ने सांसदों से कहा कि नेतृत्व पर भरोसा रखना भाजपा की परंपरा रही है। फैसले सोच-समझकर लिए जाते हैं और हर कार्यकर्ता की भूमिका अहम होती है। उन्होंने आग्रह किया कि असहमति हो सकती है, लेकिन अनुशासन के दायरे में रहकर।

तेलंगाना भाजपा के लिए निर्णायक मोड़

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की यह नसीहत सिर्फ एक बैठक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तेलंगाना भाजपा के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। अगर सांसद और नेता इस संदेश को गंभीरता से लेते हैं, तो पार्टी फिर से पटरी पर लौट सकती है। लेकिन अगर इसे नजरअंदाज किया गया, तो गुटबाजी पार्टी को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकती है।

निष्कर्ष

तेलंगाना भाजपा आज चौराहे पर खड़ी है। एक रास्ता एकता, अनुशासन और संगठन की मजबूती की ओर जाता है, तो दूसरा रास्ता गुटबाजी, अहंकार और गिरावट की ओर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रास्ता दिखा दिया है। अब यह तेलंगाना भाजपा के नेताओं पर निर्भर करता है कि वे इतिहास से सीख लेते हैं या वही गलतियां दोहराते हैं।


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