“इस बार बिहार में बदलाव दिखेगा” — कन्हैया कुमार ने दूसरे चरण की वोटिंग से पहले जताई भरोसा
- byAman Prajapat
- 08 November, 2025
बिहार की राजनीति में जैसे ही दूसरे चरण की विधानसभा चुनावी प्रक्रिया अपनी अंतिम पड़ाव पर है, कन्हैया कुमार ने ऐसा बयान दिया है जिससे राजनीतिक हलचल और तेज हो गई है। उन्होंने स्पष्ट कहा है — “इस बार बिहार में बदलाव दिखेगा।” इस बात का आश्वासन उन्होंने मतदान के दूसरे चरण से ठीक पहले दिया है, जहाँ 11 नवम्बर को नियत है।
कन्हैया कुमार ने ये भरोसा जताते हुए कहा है कि बदलाव का अवसर इस बार बेहद सशक्त है, लेकिन इसके लिए एक महत्वपूर्ण शर्त है — वोट की पवित्रता। उन्होंने खुलकर कहा है कि यदि वोट चोरी नहीं हुई, तो सरकार बदलेगी; लेकिन यदि वोट की प्रक्रिया में मोलभाव हुआ, तो वर्तमान सत्ताधारी कार्य़पालिका फिर टिकेगी।
वे यह भी सवाल उठा रहे हैं कि किस तरह मतदाता सूची में किसी ब्राज़ीलियन मॉडल के नाम दर्ज होने जैसे उदाहरण सामने आए हैं — “22 वोट्स एक ऐसे व्यक्ति के तहत कैसे तैयार हो सकते हैं?” उन्होंने यह प्रश्न उठाया है कि Election Commission of India (ECI) इस तरह की विसंगतियों के प्रति क्या जवाबदेह है।
यह बयान इस सन्दर्भ में आया है कि पहले चरण की मतदान प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों ने मतदाता सूची से कई नामों के हटाये जाने और अन्य प्रक्रियात्मक अनियमितताओं की शिकायत की थी। विशेष रूप से, पवन खेड़ा ने ऐसी शिकायतें दर्ज की थीं कि जिन लोगों ने कई पीढ़ियों से मतदान किया है, उन लोगों के नाम सूची से गायब कर दिए गए।
कन्हैया कुमार अपने घेरे में सिर्फ चुनावी रणनीतिकार नहीं रह गए हैं — वे उस परिवर्तन की आवाज भी बनते जा रहे हैं जिसे कांग्रेस और उसके सहयोगी दल बिहार में चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि यह समय सिर्फ वोट डालने का नहीं, बल्कि उस वोट की रक्षा करने का है जिसे उन्होंने ‘लोक-शक्ति’ कहा है। उन्होंने युवाओं को सीधे सम्बोधित करते हुए कहा कि “यदि आपने अपने भविष्य के लिए खड़ा रहना है, तो मतदान के बाद चुप नहीं बैठना होगा — देखना होगा कि आपका वोट सुरक्षित पहुँच रहा है या नहीं।”
उनका यह आह्वान इस मायने में महत्वपूर्ण है कि बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर यह चुनाव हो रहा है। इस तरह की सीट संख्या और विविध जाति-समुदाय के बीच पैर पसारने वाली राजनीति के बीच, मतदाताओं की हिस्सेदारी, मतगणना, और परिणामों की पारदर्शिता बड़ी भूमिका निभाती है।
कन्हैया ने यह भी कहा है कि इस बार बदलाव की लहर पिछले चुनावों से भी मजबूत दिखती है। पिछले चुनावों में स्थिति कुछ बेकाबू थी — विकास की अनंत बातें हुईं पर जमीन पर वह असर दिखने में पीछे रही। अब बढ़ती बेरोजगारी, युवा पलायन, शिक्षा-स्वास्थ्य की चुनौतियाँ और ग्रामीण-शहरी असमानता ने आम जनता में निराशा की अनुभूति बढ़ा दी है। कांग्रेस का संदेश है कि इस निराशा को वोट के माध्यम से शक्ति में बदला जा सकता है।
वे विशेष रूप से उन युवा मतदाताओं के लिए अपील कर रहे हैं जो पहली-दूसरी बार मतदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा — “आप वह ज़माना नहीं देखना चाहेंगे जब आपके पिता-दादा ने बदलाव के लिए वोट दिया, लेकिन परिणाम आपको निराश कर गया। इस बार, वो बदलाव आपका वोट तय करेगा।”

उनकी यह बात तब उठी है जब केंद्रीय और राज्य सरकारों पर विपक्षी दलों द्वारा यह आरोप लगाये जा रहे हैं कि उन्होंने विकास का वादा भर-भरकर किया, लेकिन लाभ कम लोगों तक पहुँचा। कन्हैया कुमार ने कहा कि पुराने दायरे टूटते जा रहे हैं — जाति-समुदाय की राजनीति के पार जाकर लोग वास्तविक मुद्दों की ओर देखने लगे हैं जैसे कि रोज़गार, शिक्षा-स्वास्थ्य, बिजली-सड़कें।
चुनावी रणनीति की दिशा में, कांग्रेस और उसके गठबंधन दलों ने बिहार में माह-अंत तक कई बैठकों और जनसभाओं का आयोजन किया है। कन्हैया कुमार ने खुद कई जगहों पर युवा नगरों, कॉलेजों व आंगनवाड़ी-क्षेत्रों में जाकर संवाद किया है। उनका यह कहना है कि सिर्फ नामांकन भरने-वाले दलों को मत देना पर्याप्त नहीं — उन पार्टियों को वोट दें जिन्होंने झूठे वायदों के बजाय ‘परिवर्तन-घोषणा’ दी है।
वहीं, चुनाव प्रबंधन व मतदान प्रक्रिया को लेकर उन्होंने अस्पतालों, शिक्षा-केंद्रों, मतदान केंद्रों की सफाई, बूथ-प्रबंधन व इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के साथ-साथ मतदाता सूची की समीक्षा की जरूरत को दोहराया है। उन्होंने कहा — “अगर आप वोट डालते हैं और उस वोट की गिनती तक पहुँचने से पहले आपका नाम गायब हो गया, तो यह राजनीति नहीं, छलावा है।”
उनका यह बयान उस समय आया है जब राज्य में मतदान प्रतिशत पहले चरण में अपेक्षा से अधिक दर्ज हुआ था और दूसरी पाली के लिए माहौल उत्साहित दिख रहा है। इसे विपक्ष ने संकेत माना है कि जनता अब बदलाव चाहती है।
कन्हैया कुमार ने यह भरोसा जताया है कि यदि बदलाव की यह लहर सही दिशा में जाए — मतदाता जागरूकता, मतदान केंद्र पर नियम-पालन, व लोकप्राप्ति की दिशा में काम हो — तो राज्य में नई सरकार बनेगी, जो पिछली सरकारों की तरह सिर्फ नाम पर नहीं, असल में बदलने का काम करेगी। उन्हें लगता है कि जनता अब सिर्फ ‘इक वादा’ नहीं सुनना चाहती, बल्कि ‘इक वादा पूरा होना’ चाहती है।
उनके अनुसार, इस बदलाव का मतलब सिर्फ सत्ता-परिवर्तन नहीं है; यह बिहार के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में बदलाव का संकेत है। जब राज्य की युवा शक्ति बेरोजगारी व पलायन से जूझ रही हो, वे बिजली-पानी-इंटरनेट की कमी झेल रही हो, जब शिक्षक-अस्पताल-सड़कें सदैव अधूरी बातें बनकर रह गई हों — तब बदलाव सिर्फ राजनीतिक नारा नहीं बल्कि ज़रूरत बन जाती है।
उन्होंने कहा कि मतदान के बाद ही असली काम शुरू होता है — अभिभावकों को, किसानों को, मजदूरों को, युवाओं को यह देखना है कि उनकी मांगें कब तक सरकार के एजेंडा में आती हैं। उन्होंने कहा — “बदलाव तभी सच्चा होगा जब आपका वोट सिर्फ दस्तावेज में नहीं, आपके जीवन में असर दिखाएगा।”
चुनावी पटल पर, उनके इस बयान ने सत्ताधारी दलों में तनाब बढ़ा दिया है क्योंकि यह संकेत है कि विपक्ष में गति है और जनता में बदलाव की ललक। कन्हैया कुमार ने सरकार-परिवर्तन के लिए कोई गारंटी नहीं दी है, लेकिन यह भरोसा जताया है कि अगर मतदाता सक्रिय रहें, प्रक्रिया पारदर्शी रहे — तो बदलाव संभव है।
वोटिंग के दूसरे चरण से पहले उन्होंने मतदाताओं से अपील की है — बूथ पर एक्स-लिस्ट देखें, पहचान सही है-नहीं देखें, मतदान पश्चात् अपनी हिस्सेदारी की जानकारी रखें। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ चुनावी खेल नहीं है; यह बिहार के भविष्य का मील-पत्थर है।
अंत में, कन्हैया ने यह कहा है — “मेरे लिए यह सवाल नहीं है कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा; मेरे लिए यह सवाल है कि बिहार की जनता कितनी जल्दी उस बदलाव को महसूस करेगी जिसे उसने देखा-सुना है। इस बार अवसर है। इस बार बदलाव दिखेगा।”
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