बंगाल यूपी नहीं है: ममता का सीधा बयान — गीता कार्यक्रम में गैर-शाकाहारी विक्रेताओं पर हमले को बर्दाश्त नहीं करेंगे
- byAman Prajapat
- 11 December, 2025
हिंदुस्तान की सांस्कृतिक धरातल पर जब भी धर्म, जाति, खाद्य और रीति-रिवाज की बात आती है, तब इतिहास की आह से हमारी आत्मा बोल उठती है। ऐसा ही एक ताज़ा मामला पश्चिम बंगाल से सामने आया है जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी एक उग्र और बिना पनाह की बयानबाज़ी में कहा कि “पश्चिम बंगाल यूपी नहीं है।”
यह बयान आया उस समय जब कुछ ठेठ कथित समाचारों और अफ़वाहों में यह कहा जा रहा था कि एक गीता पाठ कार्यक्रम के पास कुछ मांसाहारी भोजन बेचने वाले विक्रेताओं पर हमला हुआ। इसे लेकर मीडिया और सोशल माध्यमों में तरह-तरह की बातें चलीं।
लेकिन ममता दीदी ने जो बात कही, वह साधारण बयान नहीं थी। उन्होंने कहा —
“हम यहाँ पर किसी को भी यह कहने की अनुमति नहीं देंगे कि धर्म के नाम पर किसी को डरा-धमकाया जाये, किसी की आज़ादी छिनी जाये, किसी की पहचान मिटाने की कोशिश की जाये। पश्चिम बंगाल यूपी नहीं है कि वहाँ की मिट्टी से धार्मिक असहिष्णुता की बूँद भी उठ जाये।”
यह शब्द उनके दिल की गहराई से निकले जैसे हवा की मौज़ से गंगा की लहरें मिलकर नाम गुनगुनाती हैं।
उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास कोई शिकायत है तो वह कानून के रास्ते पर आये, मगर भीड़ की ताकत से किसी की आज़ादी छीनना हमारी संस्कृति में नहीं है।
ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मिट्टी हमेशा से विविधता में एकता की मिसाल रही है। यहाँ हिन्दू मुसलमान, बौद्ध xxxxx सभी साथ-साथ रहें हैं और सबका स्वाद, सबकी परंपरा एक दूसरे का सम्मान करती है।
उनके शब्दों में,
“हमारा बंगाल बंगालियत, हमारी संस्कृति हमारी शान है, हमारा गीता पाठ भी है और हमारा माछ-भात भी है। यहाँ सबको जीने का हक है, सबको खाने-पीने का हक है। गीता पाठ के पास मांसाहारी भोजन बेचना कोई आपराधिक कार्य नहीं है। अगर कोई कानून उल्लंघन करता है तो उस पर कानून अपना काम करेगा।”
उनका दृष्टिकोण साफ़ था कि किसी भी धर्म-आधारित कार्यक्रम के निकट किसी को धमकाया न जाये, अपमानित न किया जाये, और न ही किसी की आज़ादी का हनन हो।
समाज में गूँज रही प्रतिक्रियाएँ
यह बयान आते ही पश्चिम बंगाल के छोटे-बड़े गाँवों तक गली-नुक्कड़ की चर्चा का हिस्सा बन गया। अनेकों लोग कहते हुए सुनाई दिए —
“दीदी ने ठीक कहा, यहाँ तो सबको जीने दो की राह है, यूपी नहीं जहाँ किसी एक विचारधारा का सिक्का चलायमान हो।”
कुछ लोग कहते हैं कि ऐसी बातों से ही समाज में एकता और भाईचारा की भावना मजबूत होगी, और अतिशयोक्ति या अफ़वाहों पर आधारित ख़बरों से सावधान रहना चाहिए।

ऐतिहासिक संदर्भ
पश्चिम बंगाल का इतिहास सदियों पुराना है। यहाँ पर महज़ धार्मिक अनुष्ठान या मौलिक विचारधारा के नाम पर किसी समुदाय के साथ असहिष्णु व्यवहार स्वीकार नहीं किया जाता।
यह वही धरती है जहाँ रस गीत, बाऊल संगीत, बुद्ध और चैतन्य महाप्रभु की प्रेम भक्ति, और होरी-दीपावली की मिठास सभी एक साथ कंधे से कन्धा मिला कर चलते हैं।
यहाँ के लोगों ने सदैव कहा है—
“सबका साथ, सबका विकास, सबका सम्मान।”
और यही संस्कृति ममता दीदी ने अपने शब्दों से रेखांकित किया।
मुख्य बिंदु
घटना: गीता पाठ कार्यक्रम के पास मांसाहारी खाद्य बेचने वाले विक्रेताओं के बारे में कथित हमला होने की अफ़वाहें चलीं।
ममता का बयान: उन्होंने इसे खारिज़ किया और कहा कि पश्चिम बंगाल यूपी नहीं है। यहाँ किसी को भी धार्मिक विविधता के नाम पर असहिष्णुता की जगह नहीं दी जायेगी।
संस्कृति और एकता: बंगाल की बहुलता, आपसी सहिष्णुता और परंपरा को उन्होंने जोर देकर याद दिलाया।
कानून का पालन: अगर किसी के खिलाफ असल में कोई उल्लंघन हुआ है, तो वह कानून के माध्यम से निपटा जाये।
निष्कर्ष
जब भी कोई ज्वलंत मामला सामने आता है, तो उसे देखकर दिल में यह भावना उठती है कि हमारी संस्कृति कितनी समृद्ध और कितनी व्यापक है। पश्चिम बंगाल की मिट्टी ने हमेशा अपने अंदर धर्म, विचारधारा, खाद्य परंपरा और सभ्यता को बँधाया है।
ममता दीदी ने अपनी बात में यही कहा —
“हम सब साथ हैं, हम सब अपनी संस्कृति से जुड़े हैं, और हम सब बिना किसी डर के, बिना किसी विभाजन के, एक दूसरे का सम्मान करते हैं।”
यही वह संदेश है जो आज हर हिन्दुस्तानी को सुनना चाहिए, महसूस करना चाहिए, और अपनी ज़िंदगी में उतारना चाहिए।
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