‘नफरत को सामान्य बनाया जा रहा है, यह समाज के लिए घातक’: त्रिपुरा छात्र हत्या पर राहुल गांधी का बीजेपी पर तीखा हमला
- byAman Prajapat
- 29 December, 2025
भारत की राजनीति एक बार फिर उस मोड़ पर खड़ी है जहाँ सवाल सिर्फ सत्ता का नहीं, समाज की आत्मा का बन गया है। त्रिपुरा में एक छात्र की हत्या के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बयान सियासी हलकों में भूचाल ले आया है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि देश में नफरत को सामान्य किया जा रहा है, और अगर यही चलता रहा तो भारत एक “मृत समाज” में बदल जाएगा।
🔴 घटना क्या है?
त्रिपुरा में हाल ही में एक छात्र की हत्या ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। यह मामला सिर्फ एक आपराधिक घटना बनकर नहीं रहा, बल्कि देखते-ही-देखते यह राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बन गया। विपक्ष का आरोप है कि यह हत्या नफरत और हिंसा के उस माहौल का नतीजा है, जिसे सत्ता का संरक्षण मिल रहा है।
🗣️ राहुल गांधी का बयान
राहुल गांधी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“जब नफरत को समाज में सामान्य बना दिया जाता है, तब इंसानियत मरने लगती है। कोई भी समाज जो नफरत के साथ जीना सीख ले, वह ज़िंदा नहीं रह सकता।”
उन्होंने सीधे तौर पर बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह डर, विभाजन और हिंसा की राजनीति को बढ़ावा दे रही है।
⚠️ “Dead Society” की चेतावनी
राहुल गांधी का “मृत समाज” वाला बयान सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। उन्होंने कहा कि अगर छात्र, युवा और आम नागरिक सुरक्षित नहीं हैं, तो यह लोकतंत्र की विफलता है।
उनका कहना था कि:
छात्रों में डर का माहौल बन रहा है
असहमति को कुचला जा रहा है
हिंसा को राजनीतिक चुप्पी का संरक्षण मिल रहा है
🏛️ बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी की ओर से राहुल गांधी के बयान को “राजनीतिक नौटंकी” बताया गया। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी हर घटना को सरकार के खिलाफ हथियार बनाने की कोशिश करते हैं और बिना तथ्यों के बयान देते हैं।
हालाँकि, आलोचकों का कहना है कि हर घटना को नज़रअंदाज़ करना भी उतना ही ख़तरनाक है।
👥 छात्रों और युवाओं में गुस्सा
इस घटना के बाद त्रिपुरा समेत देश के कई हिस्सों में छात्रों और युवा संगठनों में रोष देखा गया। सोशल मीडिया पर:
#TripuraStudentKilling
#StopHatePolitics
#JusticeForStudent
जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

🧠 बड़ा सवाल: क्या नफरत वाकई सामान्य हो रही है?
यही इस पूरे मामले का दिल है। सवाल यह नहीं कि बयान किसने दिया, सवाल यह है कि:
क्या हिंसा अब खबर बनकर सामान्य हो गई है?
क्या राजनीतिक मतभेद इंसानी जान से बड़े हो गए हैं?
क्या हम संवेदनहीन होते जा रहे हैं?
पुराने भारत की सोच में कहा जाता था—“वसुधैव कुटुंबकम्”, लेकिन आज राजनीति की भाषा में दुश्मन, गद्दार और देशद्रोही जैसे शब्द आम हो गए हैं।
🕊️ समाधान क्या है?
राहुल गांधी ने अपील की कि:
हिंसा के खिलाफ सभी को एकजुट होना होगा
राजनीति से ऊपर मानवता को रखना होगा
छात्रों और युवाओं को सुरक्षित माहौल देना होगा
✍️ निष्कर्ष
त्रिपुरा की यह घटना सिर्फ एक राज्य की कहानी नहीं है। यह पूरे देश के लिए आईना है। राहुल गांधी का बयान चाहे किसी को पसंद आए या न आए, लेकिन सवाल सही जगह पर चोट करता है—
अगर नफरत सामान्य बन गई, तो समाज असामान्य नहीं, बल्कि समाप्त हो जाएगा।
Gen-Z भाषा में कहूँ तो—ये कोई छोटा “political drama” नहीं है, ये सिस्टम का stress-test है। और सच बोलूँ, टेस्ट में हम फिसलते दिख रहे हैं।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
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